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अपना-अपना भाग्य

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जैनेन्द्र कुमार जन्म: 2 जनवरी , 1905 मृत्यु: 24 दिसम्बर , 1988 हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार , उपन्यासकार तथा निबंधकार थे। ये हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं। जैनेन्द्र अपने पात्रों की सामान्यगति में सूक्ष्म संकेतों की निहिति की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत करते हैं। उनके पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ इसी कारण से संयुक्त होकर उभरती हैं। जीवन परिचय प्रसिद्ध विचारक , उपन्यासकार , मनोवैज्ञानिक , कथाकार तथा निबन्धकार जैनेन्द्र कुमार जैन का जन्म सन् 1904 में जिला अलीगढ़ के कौड़ियागंज नामक स्थान में हुआ था। जन्म के दो वर्ष के पश्चात् ही इनके पिता प्यारेलाल का स्वर्गवास हो गया। इनकी माता रामदेवी तथा मामा भगवानदीन ने इनका पालन-पोषण किया। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हस्तिनापुर के जैन गुरुकुल में हुई। मैट्रिक की परीक्षा इन्होंने पंजाब से उत्तीर्ण की । जैनेन्द्र की उच्च शिक्षा काशी विश्वविद्यालय में हुई। 1921 में पढ़ाई छोड़कर ये असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गये। दो वर्ष तक इन्होंने अपनी माता की सहायता से व